बुझे चराग़ जले हैं जो इस बहाने से
बहुत सुकून मिला है तेरे फिर आने से
बहुत दिनों से अंधेरों में था सफ़र दिल का
इक आफ़ताब के बेवक़्त डूब जाने से
नया सा इश्क नयी सी है यूँ तेरी रौनक़
लगे कि जैसे हुआ दिल ज़रा ठिकाने से
चलो कि पा लें नई मंज़िलें मुहब्बत की
बढ़ा हुआ है बहुत जोश चोट खाने से
क़सम ख़ुदा की तेरे साथ हम हुए चर्चित
ज़रा सा खुल के मुहब्बत में मुस्कुराने से
- VISHAAL CHARCHCHIT
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वाह!
जवाब देंहटाएंक्या बात।
सधु जी आभार।
हटाएंबेहतरीन सृजन
जवाब देंहटाएंबहुत - बहुत शुक्रिया भाई जी।
हटाएंवाह..!
जवाब देंहटाएंशानदार👌
लाजवाब🌻
तहरा हमरा तरफ से दिल क एकदम गहराई से शुक्रिया।
हटाएंप्रणाम सर... एवं आभार मेरी रचना को स्थान देने के लिये...।
जवाब देंहटाएंउम्दा ग़ज़ल हर शेर लाजवाब।
जवाब देंहटाएंवीणा जी दिल से शुक्रिया आपका.
हटाएंसुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसु-मन जी हृदय से आभार।
हटाएंबहुत दिनों से अंधेरों में था सफ़र दिल का
जवाब देंहटाएंइक आफ़ताब के बेवक़्त डूब जाने से
बहुत बहुत सुन्दर , सराहनीय
आलोक भाई हृदय से आभार।
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