सोमवार, जनवरी 20, 2014
तमाम तन्हा लोगों के नाम एक क्षणिका....
सर्द मौसम है,
गर्मागर्म पकौड़ों
अदरक वाली चाय
का ये वक्त है,
पर नदारद हैं
खनकती चूडियों
वाले वे हाथ,
शाम नहीं ये
जहर की पुड़िया है,
मौत यूं आहिस्ता-आहिस्ता
क्या कहें,
बहुत बढ़िया है...
- विशाल चर्चित
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