गुरुवार, जनवरी 27, 2022
गाय भैंस बकरी और लिये साइकिल...
पाँच राज्यों के चुनाव हैं ऊपर से आज गणतंत्र दिवस...
ऐसे में जनता के दिल की आवाज हास्य - व्यंग्य के सुर में...
गाय भैंस बकरी और लिये साइकिल
लद रहा हिन्दुस्तान यहां वहां आये दिन
रेल अपने बाप की पटरी उखाड़ लेव
काहे की है मुश्किल घर मा बिछाय देव
सब जगह भीड़ है का करे जनता
जल्दी बनाय लेव काम जैसे बनता
हम मनमानी करें गाली खायँ नेता
गाली नहीं खायेगा तो वोट काहे लेता
देश वेश बाद में काम मेरा पहले
तभी वोट दूंगा वर्ना निकल ले
लेन देन सीख लेव आगे बढ़ि जाओ
नाही घरे बैठि के खाली पछताओ
ज्यादा पढ़े लिखेगा तो नौकरी पायेगा
तीन - पांच आयेगा तो देश चलायेगा
कुछ नहीं आता तो बाबा बन जा रे
राम के नाम पर ऐश कर प्यारे
लगा घोर कलियुग कह रहे चर्चित
जितना हो धन बल उतने ही परिचित
- विशाल चर्चित
शनिवार, जनवरी 01, 2022
नया साल 2022 की नज्म...
सबकुछ न बदले
पर इतना तो बदले,
कि इन्सान अपनी ही
फितरत न बदले...
मौसम न बदले
तो तासीर बदले,
हवाओं का रुख और
खुशबू तो बदले...
जीना न बदले
मरना न बदले
मगर बीच की जंग
का मंजर तो बदले...
रिश्ते न बदलें
जमाना न बद्ले
मगर नकली दिखना
दिखाना तो बदले...
नेता न बदलें
सियासत न बदले
जनता का बातों
में आना तो बदले...
कहते हैं चर्चित
नये साल पर ये
कि यारों का यूं
मुस्कुराना न बदले...
- VISHAAL CHARCHCHIT