#Rishi_Kapoor #riprishi
गुरुवार, अप्रैल 30, 2020
शुक्रवार, अप्रैल 24, 2020
हममें तुममें फासले यूँ तो कभी थे ही नहीं...
#coronavirus #social_distancing #isolation
#love #loneliness loneliness #कोरोना
#सोशल_डिस्टेंसिंग #अकेलापन #प्रेम_कविता #प्यार
#मुहब्बत_शायरी #दूरियाँ #फासले #रोमांटिक_शायरी
गुरुवार, अप्रैल 23, 2020
मंगलवार, अप्रैल 21, 2020
खुफिया तंत्र फेल ? अफवाह तंत्र भारी?
लॉकडाउन के बावजूद दिल्ली के अनंदविहार बस अड्डे पर और मुंबई के बांद्रा रेलवे स्टेशन पर जमा हुई हजारों की भीड़... और अब पालघर में तीन साधुओं की हत्या... इन सबके पीछे एक ही चीज कॉमन है और वो है... देश में ताकतवर होता 'अफवाह तंत्र' और इसका प्रमुख हथियार है... ह्वाट्सप - फेसबुक - ट्विटर - यूट्यूब और टिकटॉक पर धड़ल्ले से बन रही फेक आईडी, पेज और ग्रुप्स...
सरकार यदि वाकई सीरियस है तो इसे रोकने के लिये कुछ ठोस कदम उठाने पड़ेंगे... केवल टीवी चैनलों द्वारा 'वायरल खबर सच या झूठ' से काम नहीं चलेगा... अभी नहीं चेते तो वो समय दूर नहीं जब देश में अराजकता फैलाना देश के दुश्मनों के लिये बांये हाथ का खेल हो जायेगा। डिस्ट्रक्टिव माइंड यानी कि आपराधिक और स्वार्थी लोगों के लिये ये एक तरह से व्यवसाय और लक्ष्य प्राप्ति का जरिया बनता जा रहा है। मेरे हिसाब से इसे दो कारगर तरीके हो सकते हैं...
१) सभी सोशल मीडिया आइडी, पेज और ग्रुप के लिये आईडी प्रूफ अनिवार्य हो। सभी सोशल मीडिया आइडी, पेज और ग्रुप के लिये उनके बारे में संक्षिप्त जानकारी सार्वजनिक होनी अनिवार्य हो, जैसे कि वे किस देश, राज्य से हैं, किस पेशे से हैं। मेल हैं या फीमेल हैं आदि। इसके लिये इन सभी साइट के मालिकों पर दबाव बनाना पड़ेगा... क्योंकि वे शराफत से इसे मानेंगे नहीं।
- इससे सोशल मीडिया के जरिये अफवाह फैलाना या अपराध करना लगभग असंभव हो जायेगा।
२) देश में खुफिया तंत्र का विस्तार किया जाये। इसके लिये अलग-अलग स्तर पर भारी मात्रा में अधिकारी और कर्मी नियुक्त किये जायें जो सीबीआई जैसी एजेंसियों के अंतर्गत कार्य करें। इसमें विभिन्न क्षेत्रों के लिये अलग, विभिन्न सोशल मीडिया साइटस की जांच के लिये अलग लोग नियुक्त किये जायँ। और इनके वेतन का प्रबंध अपराधियों द्वारा भारी-भरकम वसूली और सरकारी राजस्व द्वारा किया जाये।
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- इससे अपराध और अराजकता में जबर्दस्त गिरावट आयेगी।
- इससे हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा।
- देश के दुश्मनों के हौसले पस्त होंगे।
- सरकार का सिर दर्द कम होगा।
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- विशाल चर्चित
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सोमवार, अप्रैल 20, 2020
अफसरशाही और बाबूगीरी के जलवे...
सरकार जैसे देश का
दिमाग यानी कंट्रोलरूम,
तो अफसरशाही और
बाबूगीरी जैसे है हांथ-पांव...
सरकारी आदेश के बाद
होता है इन्हीं के हाथ में,
किसे देनी है धूप
तो किसे देनी है छाँव...
देश की तरक्की हो
या देश का कबाड़ा,
दोनों ही स्थितियाँ
इन्हीं की गुलाम हैं...
इनसे चलता सिस्टम
इनसे पलती जनता,
इनकी वजह से ही तो
ये सारा ताम-झाम है...
कोई भी हो स्थिति या
कोई भी हो परिस्थिति,
ये अपने खास हुनर से
सबकुछ सँभाल लेते हैं...
कब किसपर है गुर्राना
किसके सामने हिलानी है दुम,
जब-जहाँ हो जैसी जरूरत
ये हमेशा वैसी चाल लेते हैं...
जिससे भी हो फायदा
उससे रिश्ता निभाते हैं,
जो भी ना हो काम का
उसे हमेशा दौड़ाते हैं...
जो इनसे ले ले पंगा
या इनकी करे खिलाफत,
उसे मुस्कुराते हुए ये
चुपचाप निपटाते हैं...
जबतक भी रहें कुर्सी पर
लेन-देन चलता रहता है,
सबको - सबका हिस्सा
चुपचाप पहुँचता रहता है...
सत्ता हो या विपक्ष सबसे
तालमेल बिठाये रखते हैं,
सरकार हो चाहे जिसकी ये
सबसे हाथ मिलाये रखते हैं...
तमाम नियमों - कानूनों
और दाँवपेचों के सहारे,
सबकी कमियाँ ढूँढ़्कर
अदृश्य जाल बिछाये रखते हैं...
मीडिया हो या अदालत
सबको घुमाना जानते हैं,
फायदे के लिये झूठे-सच्चे
सबूत बनाना-मिटाना जानते हैं...
कब - कहाँ वादे करने हैं
कब - कहाँ मुकरना है,
जरूरत हो तो अपनी मां
तक की कसम खाना जानते हैं...
छॉटे-बड़े घोटाले हों या हो
अराजकता और भ्रष्टाचार,
ये सब में व्याप्त रहते पर
सरकारें बदनाम होती हैं...
देश में सूखा हो या बाढ़
या आये कोई भी आपदा,
इनके लिये हमेशा हरियाली
और रोज रंगीन शाम होती है...
आजादी के बाद देश अबतक
जहाँ तक भी पहुँचा या
नहीं पहुँच पाया है, सब
इनकी ही मेहरबानी है...
बड़ा मुश्किल है इनके रहते
पूरा सिस्टम ही बदल जाये,
सरकारों का क्या है वे तो
ऐसे ही आनी जानी हैं...
'चर्चित' का मतलब ये नहीं
कि सब अफसर ही ऐसे होते हैं,
कई तो देश पर मर-मिटने
गर्व करने लायक होते हैं...
पर क्या करें उन नालायकों
उन हरामखोरों का कि जो
देश के आस्तीन में छिपे
साँप कहने लायक होते हैं...
- विशाल चर्चित
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गुरुवार, अप्रैल 16, 2020
रविवार, अप्रैल 12, 2020
गुरुवार, अप्रैल 09, 2020
अरे चीनियों - अरे राक्षसों जिसे पूजते उसी को खाते?
तुमसे तो अच्छे हैं वनचर
कुछ उसूल उनको भी आते,
अरे चीनियों - अरे राक्षसों
जिसे पूजते उसी को खाते?
अजगर, चूहे - कुत्ते और
चमगादड़ सब भून डालते,
अरे दैत्यों कीड़े-मकोड़ों को
भी क्यों तुम भक्ष डालते?
पाप तुम्हारे चरम पे पहुँचे
तभी कोरोना आया है,
जिसने पूरी दुनिया में
ये कोहराम मचाया है...
जो अपने ही देश की जनता
को विरोध पर मरवा डाले,
जिससे खतरा लगता उसको
इस दुनिया से उठवा डाले...
पाक जहाँ आतंकी पलते
तुम उससे हो हाथ मिलाते,
बम-बंदूकें-चारा देकर
तुम उनके आका कहलाते...
नकली माल बेचकर तुमने
अब तक बहुत विश्व को लूटा,
सबको ये बीमारी दी अब
समझो घड़ा पाप का फूटा...
रूस-अमरीका से कुछ सीखो
जो करते हैं शान से करते,
तुम गीदड़ हो चोरी-चोरी
छुप-छुप करके हमला करते...
विश्व विजय की सोच तुम्हारी
कभी पूर्ण ना हो पायेगी,
जिस दुनिया ने सिर पे बिठाया
तुमको पैरों में लायेगी...
जहाँ कोरोना खत्म हुआ, तुम
खुद को खत्म हुआ अब समझो,
सबकी नजरें अब तुमपर हैं
सत्यानाश हुआ अब समझो...
ओ जिन्पिंग सुनो चर्चित की
तुम खतरे में सबसे पहले,
ऐसा ना हो चीन की जनता
तुम्हें निपटा दे सबसे पहले...
- विशाल चर्चित
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शनिवार, अप्रैल 04, 2020
धन्य है वो धैर्य - धन्य है वो हृदय-धन्य है वो नेतृत्व कि जो...
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