मंगलवार, अक्टूबर 02, 2018

मुक्तक गांधी जी और शास्त्री जी के लिये

आज के दिन दो महापुरुषों महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती है.... दोनों को नमन करते हुए.... एक बार फिर से प्रस्तुत है मेरा इनके लिये लिखा गया मुक्तक....

महात्मा गांधी
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जो भी था तुम्हारे पास देश पर लुटा गए
हँसते-हँसते देश के लिए ही गोली खा गए,
यूं तो सभी जीते हैं अपने - अपने वास्ते
दूसरों के वास्ते तुम जीना सिखा गए....

लाल बहादुर शास्त्री
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तख़्त-ओ-ताज पा के भी आम आदमी रहे
कोशिश की हर जगह सिर्फ सादगी रहे,
करके दिखा दिया कि मुल्क साथ आएगा
शर्त मगर एक कि ईमान लाजमी रहे.....

- VISHAAL CHARCHCHIT

शुक्रवार, सितंबर 14, 2018

भारत माता की वाणी हिंदी से जुडा पावन अवसर...


भारत माता की वाणी
हिंदी से जुडा पावन अवसर,
आओ करें संकल्प करेंगे
इसका प्रयोग हर स्तर पर...

हम रहें कहीं भी नहीं भूलते
जैसे अपनी माँ को,
याद रखेंगे वैसे ही हम
हिंदी की गरिमा को...

इन्टरनेट पर जहाँ कहीं भी
अंग्रेजी हो मजबूरी,
वहाँ छोड़कर हो प्रयास कि
हिंदी से हो कम दूरी....

जाएँ विदेशों में भी तो
हम उन्हें सिखाकर आयें,
यही नहीं कि "हिन्दी दिवस" पर
खाली दें शुभकामनायें....

|| जय हिंद - जय हिन्दी ||

- विशाल चर्चित

अभी यही प्रभु सस्ता मोदक महंगाई मुंह बाये जब तक...



अभी यही प्रभु सस्ता मोदक
महंगाई मुंह बाये जब तक

अच्छे दिन जब आयेंगे
महंगा मोदक लायेंगे

करो कृपा कुछ तुम्हीं गजानन
विघ्न दूर हो आनन फानन

लाखों के कुछ काम बनें तो
थोड़ा हम भी नाम करें तो

दरियादिल हम दिखला देंगे
भारी मोदक भी ला देंगे

नेताओं से झूठे वादे
नहीं हमें हैं करने आते

सीधा सुनना - सीधा कहना
हर हालत में सीधे रहना

फिर भी कछुआ चाल जिन्दगी
ज्यादा आगे नहीं बढ़ सकी

तुम चाहो तो क्या मुश्किल है
चलकर आती खुद मंजिल है

'चर्चित' की चर्चा करवा दो
धन की भी वर्षा करवा दो

अच्छाई की जीत सदा है
ये सच फिर साबित करवा दो

- विशाल चर्चित

रविवार, अगस्त 26, 2018

ये राखी के धागे...

क्या अजीब खेल हैं ज़िंदगी के
कि एक ही कोख से जन्म लेते हैं
वर्षों एक छत के नीचे साथ रहते हैं
लड़ते हैं - झगड़ते हैं - रूठते हैं - मनाते हैं 
समझते हैं - समझाते हैं...

ढेर सारी चीजों पर -
ढेर सारी बातें करते हैं
हर सुख में - हर दुःख में
एक दूसरे का सहारा बनते हैं,
देखते ही देखते पता ही नहीं चलता 
और आता है एक दिन ऐसा भी कि 
न चाहते हुए भी बिछड़ जाते हैं हम...

बस रोते - बिलखते लाचार से 
हाथ हिलाते रह जाते हैं हम...
अब तो सिर्फ आवाज सुनाई देती है
या वर्षों बाद मिलना हो पाता है...

इस बीच अकेले में हमें जोड़े रखता है
हमारा प्यार - हमारे बचपन की यादें
कुछ परम्पराएं - कुछ संस्कार
और इनकी खुशबू से भीगे धागे,
ये राखी के धागे........

- VISHAAL CHARCHCHIT

शनिवार, अगस्त 18, 2018

केरल का जल प्रलय



क्या प्रभु - रुष्ट क्यों?
वो भी अपने देश से?
हो गयी भूल क्या
इस धरा विशेष पे??

ये कहर - ये प्रलय
इस प्राकृतिक उपहार पर?
क्या मिलेगा यहाँ पर
जीवों के संहार से??

ना यहाँ कोई घोर पाप
ना तो कोई उग्रवाद,
ना तो आपके नियम से
कोई भी है यहाँ विवाद...

भोली-भाली प्रकृति यहाँ
भोले-भाले लोग हैं,
हर तरफ हरियाली जैसे
यही स्वर्गलोक है...

फिर भला ये कोप क्यों
किसलिये जलवृष्टि ये?
हे महादेव यहाँ क्यों
खोली तीसरी दृष्टि ये??

हैं बहुत से और देश
करते रहते केवल क्लेश,
फिर भी उनके पास क्यों
सुख - संपदा अति विशेष??

क्या यही कलिकाल है?
क्या ये न्याय हो रहा?
देखिये जरा देखिये
क्या ये 'हाय' हो रहा...

यदि ये रीति कलियुगी
आप यही चाहते,
क्षमा करें शंभु ये
हम देह नहीं चाहते...

पाप का विनाश हो
पुण्य प्रफुल्लित रहे,
चाहते हैं आप यदि
कि ये 'चर्चित' रहे...

- विशाल चर्चित

शुक्रवार, अगस्त 17, 2018

एक सूर्य अस्त तो अनंत दीप जल उठे, फिर भी आह अंधकार काश सूर्य फिर उगे...


एक सूर्य अस्त तो 
अनंत दीप जल उठे,
फिर भी आह अंधकार
काश सूर्य फिर उगे...

फिर से वही प्रात हो
फिर से ज्योतिपुंज हो,
फिर से नव उमंगमयी
आपकी वो गूँज हो...

आपका वो नेतृत्व
आपका वो पथ-प्रदर्शन,
देश कैसे भूले वो
आपका प्रत्येक दर्शन...

आपकी वो ओजमयी
काव्यमयी पंक्तियाँ,
आह-आह उनमें थीं
कितनी सारी शक्तियाँ...

आपका हृदय विशाल
ऊर्जा का स्रोत था,
जिससे देश का हृदय
प्रेरित व ओत-प्रोत था...

हाय मृत्यु ले गयी
सारा हमसे छीनकर,
जो प्रकृति ने आपमें,
थीं भरी खोजबीन कर...

अब तो हाथ जोड़ ये
ईश्वर से प्रार्थना,
स्वर्ग को सुशोभित करे
अटल जी की आत्मा...

मिले परम गति व शांति
मोक्ष व परमात्मा, 
आपसे सजीव रहे
भारत की आत्मा...

आश्रुपूरित भावभीनी श्रद्धांजलि सहित

- विशाल चर्चित

बुधवार, अगस्त 15, 2018

नमन् उन्हें जो आजादी की खातिर सबकुछ भूल गये, हँसते-हँसते 'जय हिन्द' बोला और फाँसी पर झूल गये...



नमन् उन्हें जो आजादी की
खातिर सबकुछ भूल गये,
हँसते-हँसते 'जय हिन्द' बोला
और फाँसी पर झूल गये...

नमन् उन्हें जो सबकुछ था पर
देश की खातिर छोड़ दिया,
आजादी दी, सत्ता सौंपी
और दुनिया को छोड़ दिया...

नमन् उन्हें कि जो सीमा पर
प्रहरी बनकर रहते हैं,
देश सुरक्षित रहे इसलिये
हर दुख सहते रहते हैं...

नमन् उन्हें जो गश्त पे रहते
हर मौसम - हर हाल में,
जो समा गये जनता की खातिर
स्वयं काल के गाल में...

नमन् उन्हें जो देश को लाये
आजादी के बाद यहाँ तक,
मुश्किल हालातों से उबारा
आबादी को आज यहाँ तक...

नमन् उन्हें जो देश का परचम
पूरी दुनिया में लहरा आये,
नमन् उन्हें जो अंतरिक्ष में भी
अपना तिरंगा फहरा आये...

नमन् उन्हें जो अपने क्षेत्र में
करते अर्जित सदा विशेष,
नमन् उन्हें जो देश को हर दिन
करते अर्पित सदा विशेष...

नमन् उन्हें जो करते कार्य
जाति-धर्म से ऊपर उठकर,
कोई मुसीबत में ये दौड़ते
निज स्वार्थ से ऊपर उठकर...

नमन् उन्हें जो अपने अलावा
और्रों के बारे में भी हैं सोचते,
किसी ना किसी तरह देश को
हैं सुदृढ़ करते और जोड़ते...

नमन् उन्हें जो ये 'चर्चित' का
संदेश पढ़ेंगे - सोचेंगे,
देश के लिये सही मार्ग पर
पूरे जोश से हो लेंगे...

जय हिंद - जय भारत
..... वंदे मातरम .....

- विशाल चर्चित

गुरुवार, मार्च 08, 2018

"हे नारी तू सागर है..."

महिला दिवस पर एक खास रचना...
"हे नारी तू सागर है..."

हे नारी तू सागर है
जहां नदियाँ मिलतीं आकर हैं
पुरुष समझता आधा - पौना
कहे घरेलू गागर है...

जिसने भाँप लिया रत्नों को
तेरे आँचल के साए में,
सही अर्थ में समझो उसका
देवी - देवताओं का घर है...

फ़र्ज़ - धर्म और संस्कार
बचपन से साथ लिए चलती,
इन सीमाओं के बावजूद
उन्नति करती तू अक्सर है...
पुरुष उलझ जाता अक्सर
दुनियादारी के पचड़ों में,
पर तेरे लिए तो घर - परिवार
सारी दुनिया से बढ़कर है...

नौ माह तक अपने खून से
सींच-सींच देती आकार,
फिर सहती पीड़ा अथाह
तब आता बच्चा धरती पर है...

धन्य तेरी ये सहनशीलता
ऋणी तेरा संसार सकल,
हे नारी, तुझको "चर्चित" का
श्रद्धा से भरपूर नमन है...

- विशाल चर्चित

शुक्रवार, मार्च 02, 2018

होली का रंग है मिली इसमे भंग है...


होली का रंग है
मिली इसमे भंग है
बुरा मानना मत
निश्छल उमंग है...

पीकर के पौवा
बना शेर कौवा
नशे मे खड़ा कर
दिया एक हौवा...

किसी का दुपट्टा
जो लै भागा पट्ठा
दिया खींच करके
है गोरी ने चट्ठा...

फिर भी न हारा
कीचड़ दे मारा
कहा प्राणप्यारी
मैं प्रियतम तुम्हारा...

वो बोली जाओ
हमें ना फंसाओ
उल्लू हो उल्लू
मुंह धो के आओ...

बड़ा ढीठ बंदा
पकड़ करके कंधा
पहलवान माइन्ड
दिया एक रंदा...

गर्दन अकड़ गई
चंडी सी चढ़ गई
बाला तो हाय कर
वहीं सीधी पड़ गई...

जनता इकट्ठी
लिये हाथ लट्ठी
मजनूं की गीली
हुई अब तो चड्ढी...

बड़ी मार खाई
पड़ा चारपाई
मुहब्बत ने हड्डी
की भूसी बनाई...

सबक ये मिला है
कि जो मनचला है
उसी का मुसीबत
में हरदम गला है...

चर्चित की मानो
नशा मत ही छानो
नहीं तो फंसोगे
बुरे खूब जानो...

/// होली मुबारक ///

- विशाल चर्चित

सोमवार, फ़रवरी 26, 2018

'श्री' बनकर ही फिर आना...


एक देवी सी प्रकट हुई तुम
आई - छाई - चली गयी,
और - और करते रहे लोग
मुस्काई पर चली गई...

सूरत - सीरत दोनों साथ
मिल पाती है कितनों को,
एक नाम में इतनी खूबी
मिल पाती है कितनों को...

चार वर्ष में सपने गढ़ना
हो पाता है कितनों से,
एक जीवन ही सौ जीवन सा
हो पाता है कितनों से...

रोम - रोम बोले - थिरके
ऐसा अभिनय और कहां,
बच्ची बूढ़ी सब बन सकती
ऐसा अभिनय और कहां...

जैसे तुम सोयी हो कल
नींद आती है कितनों को,
जैसे तुम आसानी से गई
मौत आती है कितनों को...

मौत वही जो चुपके से हो
नींद आयी और उठे नहीं,
या फिर चोट लगी थोड़ी सी
बेहोशी और उठे नहीं...

खैर तुम्हारा खास था सब
आना - जीना और जाना,
काश कि ऐसा और हो सके
'श्री' बनकर ही फिर आना...

- विशाल चर्चित

बुधवार, फ़रवरी 21, 2018

🙏 जय हो जय बजरंगी लाला 🙏


जय हो जय बजरंगी लाला
   खोल दो इस किस्मत का ताला
       ज़रा इधर भी खिसका दो
          कुछ करोड़ नोटों की माला,
             जय हो जय बजरंगी लाला...

ज़रा अपन भी चखें अमीरी
   गाडी - बँगला सैर विदेशी,
      रोज़ खाऊँ मैं खाना बढ़िया
         फाइव स्टार होटलों वाला,
           जय हो जय बजरंगी लाला...

नहीं चाहिए सत्ता - कुर्सी
   नहीं बनानी है सरकार,
      लेकिन जड़ से साफ़ कर सकूं
         भ्रष्टाचार और घोटाला,
            जय हो जय बजरंगी लाला...

चोरों की हो खाट खड़ी
   और मक्कारों का दीवाला,
     बजा सकूं मैं इनके सिर पर
       ज़रा गदा दो अपनावाला,
         जय हो जय बजरंगी लाला...

दीन - दुखी के काम आ सकूं
  हर चेहरे पे चमक ला सकूं,
    लेकर आऊँ रामराज मैं
       पावर दो भारी वाला,
          जय हो जय बजरंगी लाला...

- VISHAAL CHARCHCHIT

मंगलवार, फ़रवरी 13, 2018

हे शिव-महेश्वर-शम्भु-शंकर तुम करो अब ताण्डव...


हे शिव-महेश्वर-शम्भु-शंकर
तुम करो अब ताण्डव,
पाप अपने चरम पर है
तुम करो अब ताण्डव,..

व्याप्त है चहुंओर भय
अतिक्रूरता-आतंकवाद,
पशु-पक्षि भी सहमे हुए
प्रभु करो अब ताण्डव,..

यम-नियम और धर्म पर
पाखंड भारी पड़ रहा,
सच के ऊपर झूठ और
छल-छंद का रंग चढ़ रहा,
तुम सृष्टि का परिमार्जन हो
इसलिये करो अब ताण्डव,..

नव-कल्पना, परिकल्पना
नव प्रकृति को आकार दो,
नव आत्मा - परमात्मा
नव धर्म - नव संसार दो,
नव शून्य - नूतन वायु-जल हो
इसलिये करो अब ताण्डव,..

दोष सब निर्दोष और
प्राचीन अर्वाचीन कर दो,
हर हृदय को शुद्ध निर्मल
एवं देवासीन कर दो,
हे रुद्र, हों सब सत्य
'चर्चित के वचन'
अतएव करो अब ताण्डव...

सभी इष्ट मित्रों के लिये
महाशिवरात्रि की
हार्दिक शुभकामना सहित

- विशाल चर्चित

शुक्रवार, जनवरी 26, 2018

गणतंत्र दिवस पर आइये शपथ लें...



गणतंत्र दिवस के अवसर पर
आइये एक दूसरे को शुभकामना देते हुए
आइये शपथ लें कि -

अपने संविधान - तिरंगे, राष्ट्र गान और
सभी दिवंगत महापुरुषों का सम्मान करेंगे,
संविधान कि सभी धाराओं एवं नियमों का
ठीक से पालन हो इसका ध्यान रखेंगे,
अंग्रेजी लिखेंगे - पढेंगे - बोलेंगे लेकिन
मातृभाषा हिंदी का ह्रदय में
सबसे विशेष स्थान रखेंगे.......
विदेश - विदेशी तकनीक तथा
विदेशी संसाधनों का दोहन करेंगे पर
अपने देश - इसकी गरिमा का
सदैव आन - बान - शान रखेंगे.....
किसी बात पर असहमति या विरोध हो
तो धरना - प्रदर्शन - आन्दोलन करेंगे
लेकिन राष्ट्र की कोई अपूरणीय क्षति न हो
इस बात का सदैव ध्यान रखेंगे......
स्वयं की सुख - समृद्धि - उन्नति एवं
यश - कीर्ति में वृद्धि करते रहेंगे पर
सदा इससे जुड़ा हुआ अपने
राष्ट्र के विकास का अभियान रखेंगे....
सभी वर्गों, धर्मों और समाजों को
को जोड़ते हुए एकता - अखंडता और
भाईचारे को बढ़ावा देते हुए सबके चेहरों पर
अपनेपन की विशेष मुस्कान भरेंगे.......
और अगर अपने मरने से बहुतों का भला होता हो
तो हम सदैव बन्दूक की नोक पर अपनी जान रखेंगे.....

:::::::::: जय हिंद :::::::::::