शनिवार, नवंबर 26, 2016

लो जी बीमारी का जड़ से हुआ सफाया...


आजादी से अब तक
बीमार रहा ये देश,
नस - नस में व्याप्त
जीवाणु - विषाणु और
न जाने क्या - क्या...
कभी जुकाम - कभी बुखार
कभी जुलाब - कभी सिर दर्द
कभी फोड़े - कभी फुंसी
हमेशा कुछ न कुछ लगा रहना...
आते रहे तमाम हकीम - वैद्य
खिलाते रहे मीठे - मीठे टैबलेट
पिलाते रहे एक से एक टॉनिक,
मरीज भी खुश - हकीम भी खुश
और जीवाणु - विषाणु भी खुश...
पर बीमारी जहां की तहां
बनी रही जस की तस,
बढ़ती रही - फैलती रही
पूरे शरीर को खोखला करती रही...
अब सभी दवायें हुईं बेअसर
बीमारी हो गयी लाइलाज
तब रास्ता था बस एक
ऑपरेशन-सर्जरी-शल्य चिकित्सा...
लेकिन खतरा मोल कौन ले
सबका गुस्सा झेल कौन ले
हार दिखाई देती जिसमें
ऐसी बाजी खेल कौन ले...
ऐसे में एक फकीर आया
बार - बार जिसने चौंकाया
नहीं हुआ था जो भी अब तक
लो जी उसने कर दिखलाया...
पुराना खून बहाया
नया खून चढ़ाया,
इससे बीमारी का हुआ
पूरी तरह सफाया...
माना कुछ मुश्किल हो रही
माना कुछ तकलीफ हो रही
माना थोड़ा दर्द हो रहा,
लेकिन इसके बिना दोस्तों
होता है बदलाव कहां....
अगर ये मुश्किल झेल जाओगे
कल तुम पक्का मुस्कुराओगे,
चुस्त - दुरुस्त - सेहतमंद बनकर
अपना परचम लहराओगे...
इसी बात पर जोर से बोलो
दिल अपना पूरा खोलो -
"डॉ. मोदी जिन्दाबाद
सारा देश तुम्हारे साथ...."

- विशाल चर्चित

बुधवार, नवंबर 09, 2016

खूब सुनाई देता है कई बार मौन भी...


खूब सुनाई देता है
कई बार मौन भी,
गजब का समझ आता है
कई बार अनकहा भी...
बहुत सुकून देती हैं
कई बार तमाम दूरियां भी,
बहुत कुछ दिखा देती हैं
बेवजह की मजबूरियां भी...
बहुत कुछ दे देता है
परायों का अपना होना भी,
बहुत कुछ सिखा देता है
अपनों का पराया होना भी...
इसीलिये तो कहते हैं
सब वक्त - वक्त की बात है,
कभी कोई बहुत दूर
तो कभी कोई साथ है...
कोई अपेक्षा न हो तो
कोई परेशानी न होगी,
किसी के यूं ही चले जाने से
तबाह जिन्दगानी न होगी...
कोई जहां तक चले
तुम वहां तक चलो,
हरदम उसके लिये
मुस्कुराहट बनो...
लेकिन ये ना समझना
वो हरदम रहेगा,
और सफर ये सुनहरा
मरते दम तक रहेगा...
यहां इस जहां में
न कुछ आखिरी है,
जो आया वो जायेगा
ये लाजिमी है...
जाना तो तुमको भी
एक दिन पड़ेगा,
सब यहीं छूट जाना भी
एक दिन पड़ेगा...
तो फिर क्यों उदासी
और मायूस होना,
किसी चीज के पीछे
पागल क्यों होना...
वैसे बुराई नहीं
इसमें कुछ भी,
मगर जो भी हो
वो तरीके से होना,
फकीरों की आदत में
ढलकर के देखो,
आ जायेगा तुमको
पागल भी होना....

- विशाल चर्चित

मंगलवार, नवंबर 08, 2016

छोटे - छोटे पाप


होता है
कई लोगों को
ये भ्रम कि
उनके कर्म हैं
बड़े अच्छे,
हैं वे बड़े आस्तिक
करते हैं बहुत
पूजा - अर्चना,
इसलिये है और
रहेगा ईश्वर हमेशा
उनके ही साथ,
भूल जाते हैं
अपनी गलतियां
अपनों से -
अपने शुभचिंतकों से
बोले गये कड़वे बोल,
बोले गये तमाम झूठ,
दिखाई गयी होशियारी,
अपने फायदे के लिये
अपने स्वार्थ के लिये...
भूल जाते हैं
कि कोई देखे न देखे
कोई समझे न समझे
वो ऊपर बैठा ईश्वर
सब देख रहा है
सब समझ रहा है,
दर्ज कर रहा है
अपने बही खाते में,
ताकि कर सके हिसाब
कर सके उचित न्याय,
एकदम सटीक,
एकदम सही - सही,
सिद्धांत है वही
एकदम सीधा सादा,
कि जैसा बोया
वैसा काटो,
न उससे कम
न उससे ज्यादा...
न चलती है कोई पूजा
न कोई आराधना
न कोई मस्का
न कोई चापलूसी...
काम आता है
हमारा कर्म - हमारा व्यवहार
लोगों से हमारा रिश्ता
अपनों से हमारा
निःस्वार्थ प्यार...


जिसने समझा - उसने पाया
वही है हंसता - जिसने हंसाया...


- विशाल चर्चित

सोमवार, नवंबर 07, 2016

झूठ - फरेब - अदाकारी...


सवालों से वही घबराते हैं
जिनके दिल में होता है
एक डर - एक चोर
होता है एक फरेब,
बोले होते हैं तमाम झूठ
छिपाये होते हैं तमाम राज
की होती हैं अदाकारियां
लगाये होते है कई मुखौटे...
तभी हर सवाल पर
हो जाता है दिल धक से
आ जाता है कलेजा मुंह को
कि अब क्या जवाब दें
कैसे टालें इस बला को,
इसीलिये तन जाती हैं भौहें
आ जाता है गुस्सा...
लेकिन याद रहे -

झूठ - फरेब - अदाकारी
नहीं छिपती - नहीं टिकती,
महल कैसा भी हो इनपर
ढहता है जरूर इक दिन...

- विशाल चर्चित